किनारा
किनारा क्रिकेट में बल्ले के किनारे (एज) को कहते हैं, जब गेंद बल्ले के बीच (मीट) की बजाय किनारे से टकराती है। यह स्थिति अक्सर बल्लेबाज के लिए खतरनाक होती है क्योंकि गेंद अनियंत्रित दिशा में जा सकती है और कैच आउट होने की संभावना बढ़ जाती है। किनारा दो प्रकार का होता है: बाहरी किनारा (आउटसाइड एज) जहां गेंद बल्ले के बाहरी हिस्से से टकराती है और आमतौर पर स्लिप, गली या विकेटकीपर की ओर जाती है, और अंदरूनी किनारा (इनसाइड एज) जहां गेंद बल्ले के अंदरूनी हिस्से से टकराकर पैड की ओर या फाइन लेग की दिशा में जाती है। तेज गेंदबाज अक्सर बल्लेबाज से किनारा लेने का प्रयास करते हैं, विशेष रूप से जब गेंद स्विंग या सीम कर रही हो। स्लिप कॉर्डन इसी उद्देश्य से रखा जाता है कि यदि गेंद किनारे से टकराए तो कैच पकड़ा जा सके। बल्लेबाज अक्सर मोटा किनारा (थिक एज) या पतला किनारा (थिन एज) लेते हैं - मोटा किनारा जमीन पर जा सकता है जबकि पतला किनारा आमतौर पर हवा में जाता है। नए बल्ले में किनारा सख्त होता है और अधिक कैच दे सकता है, जबकि पुराने बल्ले में किनारा नरम हो जाता है। DRS में स्निको और अल्ट्रा एज जैसी तकनीकें यह पता लगाने में मदद करती हैं कि गेंद ने बल्ले का किनारा छुआ है या नहीं।