लाल गेंद
लाल गेंद पारंपरिक क्रिकेट में उपयोग की जाने वाली गेंद है, जो मुख्य रूप से टेस्ट मैचों और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में प्रयुक्त होती है। यह गेंद लाल चमड़े से बनी होती है और इसकी परिधि 22.4 से 22.9 सेंटीमीटर और वजन 155.9 से 163 ग्राम होता है। लाल गेंद की विशेषता यह है कि यह दिन के मैचों में बेहतर दृश्यता प्रदान करती है और पुरानी होने पर अलग-अलग विशेषताएं दिखाती है। नई लाल गेंद कठोर होती है और तेज गेंदबाजों को स्विंग और सीम मूवमेंट में मदद करती है। जैसे-जैसे गेंद पुरानी होती है, इसकी एक तरफ की चमक कम हो जाती है जबकि दूसरी तरफ गेंदबाज चमकाते रहते हैं, जिससे रिवर्स स्विंग मिलता है। लगभग 40-50 ओवर के बाद लाल गेंद नरम हो जाती है और स्पिन गेंदबाजों के लिए अधिक उपयोगी बन जाती है क्योंकि इसकी सतह खुरदरी हो जाती है। टेस्ट क्रिकेट में 80 ओवर के बाद नई गेंद ली जा सकती है। लाल गेंद का रखरखाव महत्वपूर्ण है - खिलाड़ी इसे अपनी पैंट पर रगड़कर एक तरफ चमकाते रहते हैं। डे-नाइट टेस्ट मैचों के आगमन से पहले, लाल गेंद ही क्रिकेट का पारंपरिक प्रतीक थी। लाल गेंद से खेलना अधिक तकनीकी और धैर्य की मांग करता है।