नॉन-स्ट्राइकर
नॉन-स्ट्राइकर वह बल्लेबाज़ होता है जो गेंदबाज़ के सिरे पर खड़ा होता है और उस गेंद का सामना नहीं करता है। हर समय मैदान पर दो बल्लेबाज़ होते हैं - एक स्ट्राइकर जो गेंद का सामना करता है और दूसरा नॉन-स्ट्राइकर। नॉन-स्ट्राइकर का मुख्य कार्य अपने साथी बल्लेबाज़ को रन लेने में मदद करना और क्रीज़ में तैयार रहना है। जब रन लिया जाता है, तो नॉन-स्ट्राइकर दूसरी क्रीज़ की ओर दौड़ता है और स्ट्राइकर भी उसकी क्रीज़ की ओर दौड़ता है। ओवर के अंत में या विषम संख्या में रन लेने पर नॉन-स्ट्राइकर, स्ट्राइकर बन जाता है। नॉन-स्ट्राइकर को गेंदबाज़ के रन-अप के दौरान अपनी क्रीज़ में रहना होता है, नहीं तो गेंदबाज़ मांकडिंग द्वारा उसे आउट कर सकता है। यह नियम 2019 में बदला गया और अब इसे रन आउट की एक वैध विधि माना जाता है। अच्छा नॉन-स्ट्राइकर हमेशा सतर्क रहता है और तुरंत दौड़ने के लिए तैयार होता है। वह फील्डिंग की स्थिति को देखता है और अपने साथी को सलाह देता है। नॉन-स्ट्राइकर की भूमिका रन लेने और रन आउट से बचने में महत्वपूर्ण है। टेस्ट मैचों में नॉन-स्ट्राइकर अपने साथी को मानसिक सहयोग भी देता है।