डीआरएस
डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) क्रिकेट में अंपायर के निर्णयों की समीक्षा करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणाली है। इस प्रणाली में टीमों को अंपायर के निर्णय को चुनौती देने का अधिकार होता है। प्रत्येक टीम को प्रति पारी में सीमित संख्या में रिव्यू (आमतौर पर 2-3) मिलते हैं। यदि रिव्यू सफल होता है, तो टीम अपना रिव्यू नहीं खोती। डीआरएस में कई प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है जैसे हॉक-आई (बॉल ट्रैकिंग), स्निकोमीटर (ध्वनि का पता लगाने के लिए), हॉटस्पॉट (गर्मी संवेदन), और रियल-टाइम स्लो-मोशन रिप्ले। इसे थर्ड अंपायर द्वारा संचालित किया जाता है। डीआरएस का उपयोग एलबीडब्ल्यू, कैच, स्टंपिंग, रन-आउट और बाउंड्री निर्णयों की समीक्षा के लिए किया जाता है। यह प्रणाली 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पेश की गई थी और इसने खेल में निष्पक्षता और सटीकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।