थ्रोइंग
थ्रोइंग क्रिकेट में क्षेत्ररक्षकों द्वारा गेंद को विकेटकीपर या गेंदबाज की ओर फेंकने की क्रिया है, जो रन आउट करने या बल्लेबाजों को दौड़ने से रोकने के लिए की जाती है। प्रभावी थ्रोइंग क्षेत्ररक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सटीक और तेज थ्रो रन आउट की संभावना बढ़ाता है और बल्लेबाजों को अतिरिक्त रन लेने से हतोत्साहित करता है। थ्रोइंग में सही तकनीक महत्वपूर्ण है - क्षेत्ररक्षक को गेंद को साफ और तेजी से उठाना चाहिए, सही लक्ष्य (स्टंप या विकेटकीपर के हाथ) की ओर निशाना लगाना चाहिए, और पूरी ताकत से फेंकना चाहिए। डायरेक्ट हिट (सीधे स्टंप पर लगना) आदर्श स्थिति है क्योंकि यह विकेटकीपर की आवश्यकता को समाप्त कर देता है। बाउंड्री के पास के क्षेत्ररक्षकों को लंबी दूरी से फेंकने की क्षमता चाहिए। आधुनिक क्रिकेट में थ्रोइंग प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हालांकि, थ्रोइंग गेंदबाजी एक्शन से अलग है - गेंदबाजी में कोहनी का सीधापन महत्वपूर्ण है जबकि थ्रोइंग में पूर्ण हाथ की गति की अनुमति है। यदि गेंदबाज थ्रोइंग एक्शन से गेंद फेंकता है (चकिंग), तो यह अवैध है। थ्रोइंग कौशल टीम की रक्षात्मक क्षमता को मजबूत करता है और मैच के नतीजे को प्रभावित कर सकता है।